क्षमा करना वृंदा - 10

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भाग -10 यह सुनते ही वह कुछ सहम सी गई। लेकिन तुरंत ही सँभलती हुई बोली, “नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं है। शौहर कहाँ है, कैसा है, सालों से कुछ पता ही नहीं है। और फिर मैं तो उसका मुँह भी नहीं देखना चाहती, ख़्वाबों में भी नहीं। जिसने मुझे, बच्चों को लातों, घूँसों, चमड़े की बेल्ट से मार-मार कर, अधमरा करके सड़क पर फेंक दिया बच्चों सहित मरने, भीख माँगने के लिए, उससे मैं आख़िरी साँस तक नफ़रत ही करूँगी। “आप ही बताइए एक और निकाह कर सौतन लाने के लिए मना करके मैंने कोई गुनाह किया था