देखा जाए तो सत्ता का संघर्ष आदि काल से चला आ रहा है। कभी कबीलों में अपने वर्चस्व की स्थापना के लिए साजिशें रची गयी तो कभी अपनी प्रभुसत्ता सिद्ध करने के लिए कत्लेआम तक किए गए। समय अपनी चाल चलता हुआ आगे बढ़ा तो इसी सत्ता के संघर्ष ने अपना जामा बदल राजाओं-महाराजाओं का इस हद तक दामन संभाल लिया कि भाई, भाई का और पुत्र, पिता तक का दुश्मन बन बैठा। और आगे बढ़ने पर जब लोकतंत्र के नाम पर इनसे सत्ता छिन कर आम आदमी के हाथ में आने की नौटकी हुई तो इन तथाकथित आम आदमियों