विश्व गुरु बनना है तो (भाग - 1) लेखक : अ० प्रोफेसर निशान्त कुमार सक्सेना (M.B.A, M.A, NTA UGC NET)प्रकाशक: स्वामी विवेकानंद संस्कृति समितिपंजीकरण संख्या: SHA/08291/2020-2021कॉपीराइट © धारक : अ० प्रो० निशान्त कुमार सक्सेना भूमिकाआजादी के 75 वर्षों के बाद आज भी यदि हम अपने देश की तुलना दूसरे विकसित देशों से करते हैं तो कहीं ना कहीं हमें यह अनुभव होता है कि हमें अपनी व्यवस्थाओं को और सशक्त करने तथा उन्हें सुधारने की आवश्यकता है।किसी भी देश का विकास उस देश की नीति तथा व्यवस्था में निहित है। यदि देश की व्यवस्था लचर होती है तो देश प्रगति