क़ाज़ी वाजिद की कहानी - परोपकारी मूसलाधार बारिश हो रही थी। कुछ गिरने की आवाज़ से माया जाग गई। मुझे हिलाया, 'आपने आवाज़ सुनी?' ... 'सो जा, बिल्ली होगी।' मैंने नींद में कहा। उसे चैन नहीं पड़ा, दबे पैरों उठी, पापा के कमरे में गई। पापा बिस्तर पर नहीं थे, वाशरूम का दरवाज़ा भिड़ा हुआ था। उसने पापा को पुकारा, कोई जवाब नहीं मिला। वॉशरूम में झांका, पापा गिरे पड़े थे। माया की चीख़ ने मुझे जगा दिया। मैंने एम्बुलेंस को काल किया पर ख़राब मौसम के कारण नहीं आई। फिर मैने जान-पहचान वालों से सम्पर्क किया परन्तु निराशा हाथ