पानी के लिये चिंतित जल नाद : पानी हाट बिकाये

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[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] ‘जल’ फ़िल्म [सन -२०१३] आरम्भ ही होती है गुजरात के कच्छ के रन की फटी हुई धरती पर चलते कैमरे से व पानी मिल जाने की आस की छटपटाहट से. हीरो बक्का धूल से लतपथ कुदाल से कुँआ खोद रहा है नीचे बहुत नीचे गड्ढे में. उसकी गर्भवती पत्नी केसर नौ महीने का गर्भ लिए कुछ दूर ज़मीन पर धूल में पड़ी प्यास से बुरी तरह  तड़पकर छटपटा रही है, "बक्का ! पानी दे ----- बक्का !पानी दे ---- बक्का !मेरे बच्चे को बचा ले".----बक्का अपनी पत्नी के उदर में पलती अपनी संतान को लेकर चिंतित