मकसद कि दोस्ती

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अहमद डार घर पंहुचते ही बेगम जीनत को देखा तो हतप्रद रह गए जैसे उन्हें सांप सूंघ गया हो ।जीनत बेगम गम सुम विक्षिप्त सी अर्धचेतन अवस्था मे सिर्फ सुल्तान को पुकार रही थी अहमद के गांव पहुंचने कि खबर बिजली की तरह फैल गयी गांव वाले अहमद डार को समझाने कि कोशिश करने लगे सुल्तान को उग्रवादियों द्वारा अगवा कर ले जाने कि खबर ने अहमद को तोड़ कर रख दिया बेगम जीनत तो पहले ही टूट कर विखर चुकी थी अहमद की सुखी आंखे एक टक बेगम को ही देखती जैसे वह पत्थर के बुत में तब्दील हो