========= इस बार बहुत दिन बाद सारे बच्चे इक्कठे हुए थे। जैसे-जैसे बड़े होते जा रहे थे, कोई हॉस्टल में कोई दूसरे शहर में कॉलेज में पढ़ने जाने लगे थे। फिर भी दानी के बिना उनका दिल न लगता। हाँ,अभी चुनमुन, तनु, चुटकी ---थे तीन / चार परिवार के बच्चे जो चाहते कि दानी उनके पास ही रहें। दानी ने हरिद्वार में अपने लिए एक जगह बना ली थी जहाँ उन्हें कई दोस्त मिल गए थे। वे सब साथ में मिलकर घूमने जाते, और बढ़ती उम्र में भी बहुत मस्ती से रहते। दानी की एक मित्र बहुत अच्छी संगीतकारा रही