यारों का याराना... चलो देखते हैं फिर एक समय पुराना, शिक्षालय के चारों यार, यारों का था याराना, हाथ में कपड़े के फटे हुए होते थे थैले, खेल खेलकर कपड़े भी होते थे मेले... आज जब पुराने शिक्षालय के सामने निकला, खड़ा था एक बच्चा दुबला-पतला कमजोर सा, ना हाथ में थैला ना कपड़ों पर मेल था, कंधों पर जगत् का बोझ हाथ में सिर्फ एक कलम था... वह पुरानी साइकिल के पेडा से शिक्षालय आता था, पढ़ाई भले ही