उजाले की ओर –संस्मरण

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स्नेही मित्रों नमस्कार आशा है सब आनंद में हैं। मैं थोड़ी सी असहज हूँ। क्यों? आप सबसे साझा करने के लिए आई हूँ। आप सब बरसों से मित्र हैं, सबसे पहले आपसे सलाह लेनी बनती है। इसीलिए सबसे पहले आप सबके साथ संवाद करना उचित लगा | अभी हाल ही की बात है मेरे पास मुझसे काफ़ी छोटी एक युवती आई और उसने मुझसे कहा कि वह हिन्दी में लिखती है अत:मैं उसे बताऊँ, समझाऊँ कि वह कैसे पाठकों के पास तक अपनी बात पहुँचा सकती है | मुझे अच्छा लगा, मेरे अनुसार आज की पीढ़ी हिन्दी लेखन में ज़रा