व्यवस्था

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’’ उफ््फ कितनी व्यस्तता ! घर के सारे काम बाकी हैं और मैं अभी से थक गयी। ’’ घर में प्रवेश करते हुए अनीता मन ही मन बुदबुदाते हुए जीना चढ़ रही थी। दोनों बच्चे उसके साथ ही थे। छोटी बेटी का बैग उसने स्वंय पकड़ रखा था। बेटा अपना बैग अपनी पीठ पर रखे हुए उसके साथ ही जीना चढ़ रहा था। कमरे में पहुँच कर अनीता धम्म से कुर्सी पर बैठ गयी। दोनों बच्चे अपना बैग स्टडी रूम में रख कर अनीता के पास आकर बैठ गये। खेलने- कूदने, चहकने -बोलने वाले बच्चे इस समय चुपचाप बैठे एक