फूलों की भेंट..

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मँझली बहू गुन्जा जैसे ही दादा जी के कमरें उनके दोपहर का भोजन लेकर पहुँची तो उसने देखा कि दादा जी अपने बिस्तर पर लेटे थे,गुन्जा उनके बिस्तर के पास जाकर बोली... "माँफ कर दीजिए दादाजी!आज आपका खाना आपके कमरें तक पहुँचाने में देर हो गई, शादी का घर है इसलिए व्यस्त थी" गुन्जा की बात सुनकर दादा जी ने कोई जवाब ना दिया,तो ये गुन्जा को कुछ अटपटा सा लगा ,क्योंकि दादा जी इतने सरल स्वाभाव के थे कि कभी किसी से बड़ी बात पर गुस्सा ना होते थे तो ये तो बहुत छोटी सी बात थी ,दादा जी