तुम्हारे लिए

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हमारे जीवन में गति हो या न हो, कोई परिवर्तन हो या न हो, हम चलें या न चलें, समय का पहिया सदा अपनी गति से चलता रहता है। समय चक्र के साथ ऋतुएँ परिवर्तित होती रहती हैं। अनीता के जीवन में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। यद्यपि उसके जीवन में सब कुछ ठहर-सा गया है, किन्तु ¬समय अपनी गति से आगे बढ़ता जा रहा है। ऋतुएँ भी परिवर्तित हो रही हैं। वर्ष-दर-वर्ष वह उम्र की सीढियाँ भी चढ़ती जा रही है। विवाहोपरान्त घर गृहस्थी के उत्तरदायित्वों निभाने में वह इतनी व्यस्त हुई कि कुछ देर के लिए