मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 13

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भाग 13आज फिज़ा के पाँव धरती पर नही पड़ रहे थे। वह खुशी से फूली नही समा रही थी। इसलिये उसने खुद को परदे की ओट में छुपा लिया था। ड्राइंग रूम में कुछ खास तरह के मेहमान इकट्ठा थे। जिनके लिये उम्दा किस्म का नाश्ता लगाया गया था। जिसमें शहर की सबसे मशहूर दुकान के रसगुल्ले, गुलाब जामुन, पेस्टी, पैटीज, मसाले वाले काजू, और कबाव शामिल थे। घर में गर्मजोशी का माहौल था। एक अलग तरह की हलचल सी थी। सभी के चेहरों पर तसल्ली और इत्मीनान के मिलेझुल तास्सुरात झलक रहे थे। फिज़ा के पूरे बदन में सिहरन