कांट्रेक्ट मैरेज यानी संविदा विवाह कुछ निश्चित शर्तो के आपसी समझ बुझ का बंधन जिसे विवाह कहना न्यायोचित नही होगा ।।क्योकी विवाह दो जिस्म का एक जान हमेशा के लिये हो जाना जीवन के हर मोड़ सुख दुख में साथ निभाना विवाह का सही मतलब है समाजिक सबंधो और सांस्कारो में समयानुसार परिवर्तन होते रहते है स्वयंवर विवाह ,प्रेम विवाह, राक्षसी विवाह ,परम्परागत विवाह स्त्री और पुरुष के संबंध समाज निर्माण की महत्वपूर्ण कड़ी होती है ।।विश्व के हर धर्म समाज की अपनी सामाजिक धार्मिक व्यवस्था है जो उसके धार्मिक मान्यताओं पर आधारित होती है ।।आज कल तो लिविंग रिलेशनशिप