[ इंग्लैंड के लिए प्रस्थान ]26 फरवरी, 1914 को समुद्री जहाज से रामानुजन के इंग्लैंड जाने का टिकट आ गया। उन्हें 17 मार्च को इंग्लैंड के लिए प्रस्थान करना था। परंतु किसी ने भी रामानुजन को यात्रा के लिए बहुत उल्लसित नहीं पाया। रामचंद्र राव ने लिखा है कि वह इस प्रकार कार्य कर रहे थे, मानो एक बुलावे पर जा रहे हैं। उनके जाने में कितने ही व्यक्तियों का हाथ था, सभी को उनके लिए कुछ-न-कुछ करने की उत्कंठा थी।उनकी पत्नी ने उनके साथ चलने का प्रस्ताव रखा था। रामानुजन ने उन्हें समझाया कि यदि वहाँ उन्हें पत्नी का