भाग. 12ज़ुहर की नमाज़ का वक्त हो गया था। शबीना और मुमताज खान दोनों ही पाँचों वक्त के नमाज़ी थे। शबीना ने दुपट्टा सिर से डाला और नमाज़ की तैयारी में लग गयी।फिज़ा की समझ में नही आ रहा था कि क्या करे? चुपचाप कमरें में चली गयी। वह सोचने लगी अब्बू जान के घर में आने के बाद फिर से इस मुतालिक बातचीत होगी। 'पता नही अब्बूजान क्या फैसला लें? ये तो तय है वह जो भी फैसला लेंगें हमारे हक में ही होगा।' फिर भी वह डर रही थी।फिज़ा को अब्बूजान का इंतजार था। उसका दिल आज किताबों