अग्निजा - 149

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लेखक: प्रफुल शाह प्रकरण-149 दुबई का अनुभव केतकी के लिए एकदम अलग था। वहां की व्यवस्था, साफ-सफाई, भव्यता...सबकुछ अद्भुत था। वह कोई सपना देख रही है और उस सपने के महानगर में वह खो गयी है, ऐसा उसे लग रहा था। उस पर हवाई अड्डे के अनुभव, पिता के फोटो में दर्शन और बादलों के साथ हुआ मन ही मन संवाद।केतकी मानो हवा में उड़ रही थी। उसका मन एकदम हल्का हो गया था। अब उसे न तो प्रतियोगिता की चिंता थी न ही वहां के प्रतिभागियों की। न ही जीतने की लालसा थी। उसके मन से सारा बोझ उतर