गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 172

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जीवन सूत्र 531 अच्छे कर्मों का अवसर मिलता है मानव देह कोगीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है:-इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते।एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः।क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारत।क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोर्ज्ञानं यत्तज्ज्ञानं मतं मम।(13/2 एवं 3, गीता प्रेस)।इसका अर्थ है,भगवान कृष्ण कहते हैं-हे कौन्तेय!यह शरीर क्षेत्र कहा जाता है और इसको जो जानता है,तत्त्व को जानने वाले लोग उसे क्षेत्रज्ञ कहते हैं।हे भारत ! तुम समस्त क्षेत्रों में क्षेत्रज्ञ मुझे ही जानो। क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ अर्थात विकार सहित प्रकृति का और पुरुष का जो ज्ञान है,वही वास्तव में ज्ञान है,ऐसा मेरा मत है। शरीर को क्षेत्र इसलिए कहा