गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 164

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जीवन सूत्र 504 भक्तों के साधनों की रक्षा करते हैं स्वयं प्रभुगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने भक्तों को आश्वासन देते हुए कहा है:-अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्।।9.22।।इसका अर्थ है जो अनन्य प्रेमी भक्तजन मुझ परमेश्वर को निरंतर चिंतन करते हुए निष्काम भाव से भजते हैं,उन नित्य निरंतर मेरा चिंतन करने वाले पुरुषों का योग(अप्राप्त की प्राप्ति)क्षेम(प्राप्त की रक्षा) मैं स्वयं कर देता हूं। भगवान कृष्ण अर्जुन के संरक्षक,मार्गदर्शक,संबंधी सभी थे।महाभारत का युद्ध शुरू होने के पूर्व जहां एक ओर दुर्योधन ने यादवों की शक्तिशाली सेना का चयन किया तो अर्जुन भगवान कृष्ण का साथ पाकर प्रसन्न हो