जीवन सूत्र 386 आवेंगों को सह जाने वाला योगी भगवान श्री कृष्ण और जिज्ञासु अर्जुन की चर्चा जारी है।इस मनुष्य-शरीर में जो कोई (मनुष्य) शरीर के समापन से पहले ही काम और क्रोध से उत्पन्न होने वाले वेग को सहन करने में समर्थ होता है,वह मनुष्य योगी है और वही सुखी है।(23 वें श्लोक के बाद आगे का वार्तालाप)जीवन सूत्र 392 परमात्मा सर्वोत्तम मित्र सुख प्राप्ति के लिए यहां-वहां भटकने के स्थान पर आत्ममुखी होने और अपनी आत्मा में विराजमान उस परम आत्मा की प्रकृति को अनुभूत करने और उसके आनंद में डूबने का निर्देश देते हुए भगवान श्री कृष्ण