गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 133

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जीवन सूत्र 356 सभी लोगों में उस ईश्वर को देखने का कार्यजीवन सूत्र 356 सभी लोगों में उस ईश्वर को देखने का कार्य भगवान श्री कृष्ण ने गीता में वीर अर्जुन से कहा है:-विद्याविनयसंपन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि।शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः।।5/18।।इसका अर्थ है,ज्ञानी महापुरुष विद्या और विनम्र व्यवहार वाले ब्राह्मण में,गाय,हाथी;कुत्ते एवं मृत्यु पश्चात अंतिम संस्कार कर्म में सहायता करने में सेवारत व्यक्ति में भी समान रूप से ईश्वर को देखने वाले होते हैं। ज्ञानी व्यक्ति समदर्शी होता है। उसके मन में किसी भी तरह से भेद नहीं होता।उसका व्यवहार राजा से हो,तब भी वही और एक आम नागरिक