महानतम गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन् - भाग 10

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[मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में गणित करने का प्रोत्साहन]रामानुजन के समय में भारत ब्रिटिश साम्राज्य का अंग था। प्रमुख और उच्च स्थानों पर अंग्रेज पदाधिकारी थे, जो भारतीयों से सामाजिक एवं वैचारिक स्तर पर बिलकुल अलग-थलग थे। उनसे भारतीयों के संपर्क बहुत सीमित थे तथा उनसे मिलने और अपनी समस्याओं को रखने में साधारणतः भारतीय बहुत सकुचाते थे। परंतु रामानुजन के बारे में प्रेसीडेंसी कॉलेज के कुछ अंग्रेज प्राध्यापक तथा सर फ्रांसिस स्प्रिंग आदि जानने लगे थे। इधर रामचंद्र राव, नारायण अय्यर आदि कुछ अन्य प्रभावशाली भारतीय भी उनमें रुचि ले रहे थे।नारायण अय्यर, रामचंद्र राव तथा अन्य शुभचिंतक प्रयत्नशील थे