गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 103

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जीवन सूत्र 216 भगवान की बनाई इस सृष्टि में सब कुछ ब्रह्मयुक्त हैगीता में भगवान श्री कृष्ण ने वीर अर्जुन से कहा है:-ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना।।4/24।। इसका अर्थ है,जिस यज्ञ में अर्पण भी ब्रह्म है, हवी(हवन में डाली जाने वाली सामग्री) भी ब्रह्म है और ब्रह्मरूप कर्ता के द्वारा ब्रह्मरूप अग्निमें आहुति देने की क्रिया भी ब्रह्म है,अर्थात जिस मनुष्य की ब्रह्म में ही कर्म-समाधि हो गई है,तो (निश्चय ही) उसके द्वारा प्राप्त करने योग्य फल भी ब्रह्म ही है। भगवान की बनाई इस सृष्टि में सब कुछ ब्रह्मयुक्त है।चंद्र तारों से लेकर सूक्ष्मदर्शी से ही दिखाई