गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 83

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जीवन सूत्र 120 योग साधारण ज्ञान नहीं, एक रहस्य और साधनागीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है,स एवायं मया तेऽद्य योगः प्रोक्तः पुरातनः।भक्तोऽसि मे सखा चेति रहस्यं ह्येतदुत्तमम्।।4/3।।इसका अर्थ है,हे अर्जुन!तू मेरा भक्त और प्रिय सखा है, इसलिए वही पुरातन योग आज मैंने तुझसे कहा है; क्योंकि यह बड़ा उत्तम रहस्य है। चौथे अध्याय के प्रारंभिक श्लोकों में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को योग विद्या के सृष्टि के प्रारंभ से होने की जानकारी दी जो, आगे बढ़ रही थी,लेकिन बीच में ही कहीं लुप्त हो गई थी। युद्ध प्रारंभ होने के पूर्व मन में संशय और भ्रम की