रामानुजन स्वभाव से शरमीले थे। अपने सीधे-सरल व्यक्तित्व से वह सदा ही अन्य व्यक्तियों को प्रभावित कर लेते थे। अन्य व्यक्तियों से उनका व्यवहार सदैव मित्रवत् रहता था। हाई स्कूल के उनके सहपाठी एन. रघुनाथन के अनुसार, उनसे शत्रु-भाव रख पाना किसी के लिए संभव ही नहीं था। कुछ मोटाई लिये एवं मध्यम ऊँचाई के रामानुजन की आँखों में एक चमक सदा बनी रहती थी। उनके व्यक्तित्व में कुछ ऐसा विशेष था कि किसी व्यक्ति को उनपर अविश्वास होता ही नहीं था। उनसे मिलने पर प्रत्येक व्यक्ति उन्हें अनायास ही पसंद करने लगता था और उनके द्वारा कुछ न माँगने