जिस तेजी से धूल का गुबार उठा था, उसी तेजी से वह शांत भी हो गया। जब तक कार का दरवाजा खोलकर जमनादास बाहर निकलते अमर कार के नजदीक पहुँच चुका था। दूसरी तरफ से निकल रहे वकील धर्मदास को देखकर उसने अपने दोनों हाथ जोड़ कर उनका और जमनादास का अभिवादन किया। तीनों ने साथ ही थाने के मुख्य कक्ष में प्रवेश किया जहाँ अभी अभी दरोगा विजय यादव अपनी कुर्सी पर विराजमान हुआ था। उसके सामनेवाली कुर्सी पर बैठा बिरजू उन्हें देखते ही उनके सम्मान में उठ खड़ा हुआ और दोनों का अभिवादन किया। उसकी तरफ अधिक ध्यान