!!वो बेखर थी शिकायती निगाहो से वो बेखबर थी बोलती निगाहो से !!!!जब निगाहे से निगाहे सारी शिकायते कफ़ूर बहो गई!!वेद ने जाकर अन्दर से दरवाजा हि बन्द कर लिया ....उसको वामा कि बाते अन्दर हि अन्दर कचोट रही थी वेद वामा के दर्द को भली भाँति जानता समझता है!! वामा के दूर जाने की बात से कितना विचलित हो गया ऐसा लग रहा उसकी जिस्म से किसी ने रुह निकाल लि हो!! मौन अन्सुओ से बिलख पडा वो खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहता है l वामा दरवाजा खटखटाती रही लेकिन वेद ने दरवाजा नहीं खोला वो जाकर फ़्रेश