ग़लती

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अमन कुमार त्यागी -‘बेटे लाठी मारने से पानी अलग नहीं हो जाता है।’ मान सिंह ने अपने बड़े बेटे को समझाने का प्रयास किया। -‘और वो मुझे मार डाले तब।’ नरेश ने शिक़ायती लहजे में कहते हुए अपने बाप की तरफ़ देखा। -‘ऐसा नहीं है, और वैसे भी अपना मारे छाँव में डाले ग़ैर मारे धूप में डाले’, मेरी इस बात को गांठ बांध ले, कलुआ तेरा छोटा भाई है गैर नहीं है।’ मान सिंह ने पुनः समझाने का प्रयास किया। -‘मतलब साफ़ है, मुझे अब चैकस रहना पड़ेगा।’ नरेश के मुँह से अनायास ही निकला। -‘चल अब माफ़ कर