"नहीं !" कहते हुए साधना के चेहरे पर दृढ़ता के भाव थे जिन्हें देखकर गोपाल का मन आशंकाओं से भर उठा। साधना ने आगे कहना जारी रखा, "मैं आपको अहसास कराना चाह रही हूँ सामाजिक मर्यादाओं की, जिसकी अदृश्य डोर से हम सब बँधे हुए हैं। सुशीला जी जैसी भी हैं, लेकिन समाज की नजरों में वह आपकी ब्याहता पत्नी हैं और इस नाते उनकी जिम्मेदारी से आप इतनी आसानी से मुकर नहीं सकते ..!" कहते हुए अचानक साधना फिर से भावुक हो गई थी और उसका वाक्य अधूरा रह गया था।बहुत सी बातें अनकही भी लोग समझ लेते हैं