उज्ज्वला

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अमन कुमार त्यागी   समीर आज पचास साल बाद गाँव आ रहा था। जब से वह शहर गया था उसे गाँव का जीवन नीरस और निरर्थक लगने लगा था। उसने शहर में कड़ी मेहनत कर एक घर बना लिया और वहीं पर बस गया था। बच्चे बड़े हो गए और रोज़गार से लग गए तो राहत की सांस ली। अब से लगभग पचास साल पहले वह गाँव छोड़कर शहर जा चुका था। तब न तो गाँव में रोज़गार था और न ही मान-सम्मान। छोटे से छोटा बच्चा भी उसे सम्मी कहकर पुकारता था। सम्मी गाँव में दिन भर मजदूरी करता