अक्स

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सोचा लिखूं कुछ तुम्हारी खूबसूरती पे , शब्द और एहसास पिरो के मोती से ,  तुम्हारी ये आँखें जैसे जुगनू टिमटिमाये ,  रात के अँधेरे में जगमगाती रौशनी के साये , तुम्हारी हंसी में हैं वो कातिल अदाएं ,  तुम जो हंस दो तो हज़ारों दिए जल जाएँ ,   आस्मां के सब रंग , ये चंदा ये सितारे, देखने लगे हैं सब अब तुमको ही सारे,    चलती हो मानो जंगल में शेरनी की तरह ,  देखे जो प्यार से लगती हो सुन्दर मोरनी की तरह,   तुम्हारा चाँद सा ये चेहरा बहोत अपना सा लगता है,  दुनिया की भीड़ में एक हसीन सपना