मंगलसूत्र - 5

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मूल लेखक - मुंशी प्रेमचंदसंतकुमार ने भाषण समाप्त करके जब उससे कोई जवाब न पाया तो एक क्षण के बाद बोला - क्या सोच रही हो? मैं तुमसे सच कहता हूँ, मैं बहुत जल्द रुपए दे दूँगापुष्पा ने निश्चल भाव से कहा - तुम्हें कहना हो जा कर खुद कहो, मैं तो नहीं लिख सकती।संतकुमार ने होंठ चबा कर कहा - जरा-सी बात तुम से नहीं लिखी जाती, उस पर दावा यह है कि घर पर मेरा भी अधिकार है।पुष्पा ने जोश के साथ कहा - मेरा अधिकार तो उसी क्षण हो गया जब मेरी गाँठ तुमसे बँधी।संतकुमार ने गर्व