जीवन सूत्र 86,87,88 भाग 69जीवन सूत्र 86 :कर्तव्य पथ पर ईश्वर का अनुभव करें साथगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है: -मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा।निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः।।3/30।।इसका अर्थ है, हे अर्जुन! तू सम्पूर्ण कर्तव्य-कर्मोंको मेरे अर्पण करके,मुझ परमात्मा में अपना चित्त लगाए हुए कामना,ममता और दुख-रहित होकर युद्धरूपी कर्तव्य-कर्म को करो। आसन्न युद्ध में अपनी संपूर्ण शक्ति के साथ लगने के लिए भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कुछ मंत्र दिए हैं।अपने संपूर्ण कर्मों को ईश्वर को अर्पित कर देने का अर्थ है उन कर्मों को स्वयं कर्ता न मानते हुए ईश्वर की ओर से करने का भाव लाना। अर्थात