खाली हाथ - भाग 2

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अपनी माँ को इतना ख़ुश देखकर अरुण फूला नहीं समा रहा था। वह सोच रहा था कि चलो उसकी पहली मंज़िल तो तय हो गई। माँ ख़ुश हैं तो पापा भी ख़ुशी से इस रिश्ते को स्वीकार कर लेंगे। तभी नताशा ने कहा, "पता नहीं अरुण, अर्पिता ने उसके पापा मम्मी को बताया भी होगा या नहीं?" "माँ जैसे आप मेरे बोले बिना ही सब जानती हैं वैसे ही उसकी मम्मा को भी इस बात का अंदाज़ा है। आप लोगों की नज़रों से भला कहाँ कुछ छिप सकता है। वैसे वह भी आज ही बात करने वाली है। उसके पापा-मम्मा