खाली हाथ - भाग 1

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सूरज और नताशा का इकलौता बेटा अरुण विवाह के दस वर्ष के पश्चात नताशा के गर्भ में आया था। इसके लिए उन्होंने मंदिर-मंदिर जाकर भगवान के आगे माथा टेका था, ना जाने कितनी मानता रखी थीं। तब जाकर भगवान नींद से जागे और उन्हें माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अपने सीमित साधनों में भी वह उसके लिए जितना कर सकते थे, उससे ज़्यादा ही कर रहे थे। अरुण बड़े ही लाड़ प्यार से बड़ा हो रहा था। सूरज और नताशा उसे अच्छे स्कूल में पढ़ा रहे थे। अच्छे से अच्छे संस्कार भी दे रहे थे। अरुण धीरे-धीरे बड़ा हो