अमन कुुमार त्यागी आज पंद्रह अगस्त है। पंद्रह अगस्त के महत्त्व को कोई भारतीय भला कैसे भूल सकता है। इस दिन हमारा पुनर्जन्म हुआ था। दासता की बेड़ियाँ कट गई थीं। अब तक हमारी स्वतंत्रता के लिए न जाने कितने ही वीर सपूत बलिवेदी पर हँसते-हँसते चढ़ गए थे। हमारी गुलामी की बहुत छोटी वजह थी और यह वजह थी आपसी फूट। हमारी आपसी फूट का परिणाम हमने लगभग बारह सौ वर्षों तक भुगता था। जब हम एक थे तो सिकंदर जैसे महान यो(ा का भी भारत आकर विश्वविजय का सपना धराशाई हो गया था। सेल्युकस को अपनी पुत्री