मूंग की खिचड़ी

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”मूंग की खिचड़ी””शुभा, सो गई क्या? लो खाना खालो””खाना..?” पुलकित सी वह फटाफट रजाई फेंक, उठ खड़ी हुई, ”हाँ बहुत भूख भी लग रही है” बेचैनी से प्लेट पकड़ती हुई वह बोली, लेकिन यह क्या, ”फिर मूंग की खिचड़ी...मुझे तो आज खाना खाना है” वह बच्चों की तरह तुनकते हुए बोली, ”लक्ष्मी को बुलाओ जरा””लक्ष्मीईईई....” उसने जोर से आवाज दी। लक्ष्मी दौड़ती हुई आ गई, ”जी भाभीजी””तूने फिर मेरे लिये मूंग की खिचड़ी बनाई?””भैया ने कहा” उसके गुस्से को नजर अंदाज करती लक्ष्मी, विनय की तरफ देख कुटिलता से मुस्कुराई।”क्यों? आज तो छै दिन हो गए...मेरी तबीयत तो अब बिल्कुल