श्यामा

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आदमी जब अकेला होता हे तो विचारों की वैतरणी उसे न जाने यादों की लहरों पर सवार करके कहाँ ले जाती है। एकान्त में व्यक्ति कभी भी अकेला नहीं होता है, और जब भी एकान्त मिलता है तो भीतर से एक आवाज़ उसे आत्म मंथन करने के लिए कहती है। अतीत के धुंधलके से तस्वीरों के अक्स एक-एक कर उभरते जाते हैं, सामने आते हैं और झकझोरते हैं, गुदगुदाते हैं, हँसाते हैं, रूलाते हैं। ये अक्स हमें वो आइना दिखाते हैं जिस पर समय ने परदा डाल दिया था। आज संदेश भी अपने कार्यालय में बैठा सोच रहा था कि