मैं अब शीघ्र ही अपनी प्यारी मातृभूमि के दर्शन करूंगा इसका सावरकर जी को स्वप्न में भी ध्यान न था । २१ जनवरी सन् १९२१ के दिन उनका डी० टिकट निकाल लिया गया। इससे सावरकर जी को कुछ सन्देह तो अवश्य हुआ किन्तु फिर भी उन्हें यह विश्वास न था कि वे भारत ले जाये जायेंगे। एक दिनअकस्मात एक वार्डर ने सावरकर जी को एक पत्र लाकर दिया जिसमे यह लिखा था कि अब आपको बम्बई की जेल में रखा जायेगा । सावरकर जी के हृदय में भारतभूमि के दर्शनों की कुछ आशा उत्पन्न हो गई और उनकी दर्शनों के