मौत का हिसाब--अपराधी पैदा नही होता बल्कि अपराधी बनाया जाता है कोई भी प्राणि अपने मूल स्वभाव के साथ जन्म लेता है किसी विशेष परिस्थितियों में उसके स्वभाव में परिवर्तन स्प्ष्ट परिलक्षित होता है जो भयावह और घातक होता है कहावत विल्कुल सही हैं कि अपराधी माँ की कोख से पैदा नही होता है ।।लेकिन जब कोई अपराध के रास्ते चल पड़ता है तो उसे उसी दलदल में फंसकर रह जाना पड़ता है अपराधी या तो समाज पैदा करता है या परिस्थियां दोनों ही समय समाज की अपनीमहत्वकांक्षाओ पर निर्भर रहते है।।पण्डित बृषभान बहुत निर्धन ब्राह्मण थे उनको भोजन के