आख़िर मेरा दोष क्या है

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अमन कुमार त्यागी काला आसमान अपने आपको नीला रंग दे रहा था। तारे छिपने का प्रयास कर रहे थे और चांदनी अब सुनहरी होने को थी। मुर्गे बाग दे चुके थे। कुत्ते रात भर भौंकने के बाद ऊंघ रहे थे। पेड़ों पर चिड़िया चहचहा रही थीं। इंद्र देव की कृपा से सभी पेड़-पौधों पर जमी गर्द धुल गई थी, सड़कें साफ़ और ठंडी हो गई थीं। मुरझाई सरसों अब पीले वस्त्र औढ़े मस्ती में झूम रही थी। ठंडी बयार में आम की हरी-सुनहरी कौंपले और बोर मन को कवि बना देने पर मजबूर कर रहे थे। आम के आकर्षण से