नासिक से सन् १९०१ में सावरकर जी ने मैट्रिक की परीक्षाउत्तीर्ण कर ली । उसी वर्ष आप बीमार भी हो गये। बीमारी के दिनो में आपको चिन्ता हुई कि मैं मैट्रिक से आगे की शिक्षा कैसे प्राप्त करूंगा क्योंकि इतना पैसा पास नहीं कि कालिज का खर्चं सहन कर सके । इनके बड़े भाई गणेश दामोदर सावरकर ने कहा कि यदि तुम भाऊराव चिपलूणकर की लड़की से विवाह कर लो तो वे तुम्हारी सारी शिक्षा का व्यय उठा सकते है, फलतः सावरकर जी ने उनकी कन्या से विवाह करना स्वीकार कर लिया और उन्होंने ही इनकी शिक्षा का व्यय उठाया।