ठीहा

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ठीहाचन्दन बाबू को डाकखाने की नौकरी से सेवानिवृत्त हुए दस वर्ष बीत चुके हैं। उनके एक ही लड़का है देवकी। देवकी एक दैनिक के सम्पादकीय विभाग में कार्यरत है। पहले आगरा में था अब दिल्ली पहुँच गया है। चन्दन बाबू ने एक छोटे से शहर में जिसे मण्डलीय केन्द्र भी कहा जाता है पूरी ज़िन्दगी काट दी । कहीं स्थानान्तरण भी हुआ तो निकट ही। पत्नी का देहान्त पिछले जाड़े में हो गया। चन्दन बाबू अकेले हो गए। घर के अन्दर अब कोई रहा नहीं जिससे सुख-दुख की बातें हो सकें। वे सत्तू, चूड़ा को डिब्बे में रखते । जब