भाग 4उसकी सारी जान जैसे निकल चुकी थी और वह बेसुध हो गयी थी। सिर्फ आरिज़ की अम्मी ही उसके साथ थीं, आरिज़ भी नही। वह होता भी क्यों? अब उसके साथ उसका रिश्ता बचा ही क्या था? वैसे रिश्ता तो उसकी अम्मी के साथ भी नही बचा था, मगर हालात के मद्देनजर उन्हे ये करना पड़ा था। जिसमें उनकी मर्जी शामिल नही थी। उनकी बेरुखी इस बात की गवाह थी। वैसे भी उनका होना या न होना बराबर ही था।अस्पताल आ गया था। ड्राइवर चाचा ने अस्पताल के ठीक गेट के पास गाड़ी लगाई थी ताकि फिज़ा को उतरने