गांव में बाघ की ही चलती। दीनहीन उसके अनाचारों से तंग रहते। संतो ने अपने समाज के लोगों के सामने अपनी कठिनाई को रखा पर बाघ का नाम आते ही सभी चुप हो गए। आखिर उसने ही एक फैसला किया। अत्यंत मर्मस्पर्शी कहानी।