टुकड़े पत्थर के

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अनिरुद्ध बोला मैडम नमस्कर पुनः मुलाकात की इच्छा लेकर जा रहा हूँ मुझे विश्वास है कि हमारी अगली मुलाकात में द्वंद दोष शिकायत का कोई स्थान नही होगा और हम एक दूसरे से बहुत प्रसन्न बातावरण में खुले मन मस्तिष्क से मिलेंगे।जंगिया के पैर छूकर अनिरूद्ध ने आशीर्वाद लिया बोला माँ जान्हवी बहुत नकचढ़ी है लेकिन है बहुत प्यारी इसकी बातों शरारतों में एक अजीब संवेदनशीलता का सांचार है तुम भाग्यशाली हो कि तुमको जान्हवी जैसी बेटी मिली है। जंगिया बोली बेटा मैं उससे ज्यादे भाग्यशाली हूँ कि सत्येश गढ़ के राजकुमाए अनिरुद्ध के दर्शन हुए बेटा एक बात बोलूं