मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 3

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भाग 3आरिज़ ने तो कई बार उसके साथ मार-पीट भी की थी। तब भी कोई कुछ नही बोला था। उसका गुनाह था कि उसने कठपुतली बनने से इन्कार कर दिया था। मजलूम औरतों के हक़ के लिये लड़ने की ठानी थी। ये दो चीजें थी जो उन्हें नश्तर के माफिक चुभ रही थीं। हलाँकि एक हद तक उसने सहा भी था।उनके बाहर निकल जाने के बाद फिज़ा ने जैसे ही खुद को महसूस किया एक अन्जाने दर्द से वह चिल्ला उठी। गिरियां कर रो पड़ी। पेट के निचले हिस्से में भयंकर दर्द उठा था, साथ ही उसे अपने नीचें कुछ