जान्हवी को ना जाने क्या हो गया था अनिरुद्ध से मिलने के बाद वह माँ जंगिया को समाज मे नारी के साथ विकसित एव पढ़े लिखे सभ्य समाज द्वारा किये जा रहे भेद भाव को विशेषकर आदिवासी नारी के प्रति भवनाओं की सत्यता को जिसे उसने स्वंय एक आदिवासी कन्या होने के कारण देखा अनुभव किया था उस पीड़ा को व्यक्त करती ही जा रही थी ।उसने माँ को अपनी आत्मिक व्यथा को बताना जारी रखा जिस वेदना को माँ जंगिया ने भी भुगता था बोली माँ इंस्पेक्टर रहीम खान ने मुझे लॉकप में बंद कर दिया और कानून की