गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 62

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भाग 61 जीवन सूत्र 68 कर्मों से बंधे हैं भगवान भीगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:-न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किञ्चन।नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि।(3/22)। इसका अर्थ है-हे अर्जुन ! मुझे इन तीनों लोकोंमें न तो कुछ कर्तव्य है और न कोई भी प्राप्त करने योग्य वस्तु अप्राप्त है,तो भी मैं कर्म में ही बरतता हूँ । भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं।वे मथुरा नरेश महाराज उग्रसेन के परिवार के हैं। प्रमुख सभासद वासुदेव जी के पुत्र हैं। द्वारिकाधीश हैं, तथापि आवश्यकतानुसार उन्होंने अपनी विभिन्न लीलाओं के माध्यम से यह बताने की कोशिश की,कि हर व्यक्ति को