अमन कुमार त्यागी चारों ओर हाहाकार मचा था। शहर का एक भी अस्पताल ऐसा नहीं था जिसमें संक्रमित मरीजों को भर्ती न कराया गया हो। पत्रकारों के लिए यह अच्छी ख़बर थी और चिकित्सकों के लिए अच्छा सीजन। एक-एक घर से पाँच-पाँच या घर के सभी सदस्य उल्टी दस्त से जूझ रहे थे। गाँव का एक बुजुर्ग रोते हुए बता रहा था- ‘साहब मौत मुझे आनी चाहिए थी, मेरी आँखांे के सामने मेरे दो पोते काल के गाल में समा गए। क्या हुआ, कुछ कह नहीं सकता।’ आज के ताज़ा अख़बार में अधिकाँश ख़बरे संक्रमित बीमारियों से मरने की पढ़कर